प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लिया। यह दो दिवसीय सम्मेलन रविवार को आधुनिक कला संग्रहालय में हुआ, जिसमें ब्रिक्स के सभी सदस्य देशों के नेता और प्रतिनिधि मौजूद थे। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी के साथ ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा, और अन्य सात सदस्य देशों के प्रमुख भी शामिल थे। सम्मेलन की शुरुआत समूह फोटो के साथ हुई, जिसमें सभी नेताओं ने एक साथ अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।
पीएम मोदी का संबोधन: ग्लोबल साउथ की प्राथमिकता का अभाव
ब्रिक्स सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ग्लोबल साउथ की समस्याओं और उसकी ओर कम ध्यान दिए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ कई बार दोहरे मानदंडों का शिकार रहा है। उनके हितों को वैश्विक मंच पर उचित महत्व नहीं मिला। खासकर जलवायु वित्त, सतत विकास और प्रौद्योगिकी तक पहुंच जैसे अहम मुद्दों पर ग्लोबल साउथ को केवल संकेतात्मक समर्थन ही मिला है, जबकि वास्तविक मदद नहीं। इस पर उन्होंने जोर दिया कि वैश्विक संस्थाओं को अब ग्लोबल साउथ की आवाज को गंभीरता से सुनना और उसकी प्राथमिकताओं को मान्यता देना जरूरी है।
‘20वीं सदी के टाइपराइटर, 21वीं सदी के सॉफ्टवेयर नहीं चला सकते’
प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक संस्थानों की अपडेट की कमी पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “आज के एआई युग में, जब तकनीक हर हफ्ते अपडेट होती है, तो यह स्वीकार्य नहीं कि कोई वैश्विक संस्था 80 साल में एक बार भी अपडेट नहीं हो पाती।” मोदी ने यह बात उदाहरण के तौर पर कही कि 20वीं सदी के टाइपराइटर 21वीं सदी के सॉफ्टवेयर नहीं चला सकते। उन्होंने कहा कि वैश्विक संस्थाओं को भी आधुनिक दौर के मुताबिक खुद को ढालना होगा ताकि वे वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सकें।
20वीं सदी की संस्थाएं 21वीं सदी की चुनौतियों से अनसुलझी
पीएम मोदी ने कहा कि 20वीं सदी में बनी वैश्विक संस्थाएं 21वीं सदी की नई चुनौतियों से निपटने में असमर्थ साबित हो रही हैं। चाहे वह वैश्विक संघर्ष हों, महामारी, आर्थिक संकट या साइबर स्पेस में उभरती चुनौतियां, ये संस्थाएं इनका समाधान नहीं दे पा रही हैं। उन्होंने कहा कि आज विश्व को एक नई बहुध्रुवीय और समावेशी व्यवस्था की जरूरत है, जिसके लिए वैश्विक संस्थाओं में गहरे और प्रभावी सुधार जरूरी हैं। यह सुधार केवल प्रतीकात्मक नहीं होने चाहिए, बल्कि इनका वास्तविक असर भी दिखना चाहिए।
ब्रिक्स के विस्तार पर प्रधानमंत्री मोदी की राय
ब्रिक्स के विस्तार पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत सभी मुद्दों पर ब्रिक्स देशों के साथ मिलकर रचनात्मक योगदान देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा अपने हितों से ऊपर उठकर मानवता के हित में काम करना अपनी जिम्मेदारी समझा है। ब्रिक्स में नए सदस्यों के जुड़ने को उन्होंने संगठन की विकासशीलता और समय के साथ बदलाव करने की क्षमता के तौर पर देखा। इससे ब्रिक्स और भी अधिक समावेशी और प्रभावशाली बनेगा।
सोशल मीडिया पर पीएम मोदी का संदेश
ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की सक्रियता सोशल मीडिया पर भी देखने को मिली। उन्होंने X (ट्विटर) पर ब्रिक्स के नेताओं की एक साथ ली गई तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “ब्रिक्स की ओर से एक महत्वपूर्ण कदम रियो डी जेनेरियो, ब्राजील में हासिल किया गया। यह सहयोगात्मक समझौते के रूप में फिर से शुरू हुआ और साझा विकास के लिए तैयार है। ब्रिक्स में समावेशी और समतामूलक भविष्य के वैश्विक योगदान की अपार संभावनाएं हैं।”
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा, “ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स के अन्य नेताओं के साथ घनिष्ठ सहयोग और साझा विकास के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की। ब्रिक्स एक अधिक समावेशी और समतामूलक वैश्विक भविष्य को आकार देने की अपार क्षमता रखता है।”